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धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंद्वी क्यों नहीं समझता था? |
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Answer» धनराम को बचपन से ही यह बात समझा दी गयी थी की ऊँची जाती वाले लोग उनके प्रतिद्वंदी नहीं होते है, कक्षा मे भी मोहन मास्टर त्रिलोक का चाहता था और हमेशा उसके बारेमे बोला जाता था की वह एक दिन विद्यालय का नाम रोशन करेगा, इन्ही कारणों की वज़ह से धनराम मोहन को अपना प्रतिद्वंदी नहीं समझता था मोहन उसके लिए हमेशा से ही बेहतर था| |
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