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दिए गए गद्यांशों को पढ़कर उन पर आधारित प्रश्नों के उत्तर लिखिए।नये शब्द, नये मुहावरे एवं नयी रीतियों के प्रयोगों से युक्त भाषा को व्यावहारिकता प्रदान करना ही भाषा में आधुनिकता लाना है। दूसरे शब्दों में केवल आधुनिक-युगीन विचारधाराओं के अनुरूप नये शब्दों के गढ़ने मात्र से ही भाषा का विकास नहीं होता; वरन् नये पारिभाषिक शब्दों को एवं नूतन शैली-प्रणालियों को व्यवहार में लाना ही भाषा को आधुनिकता प्रदान करना है।(i) उपर्युक्त गद्यांश के पाठ और लेखक का नाम लिखिए।(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या कीजिए।(iii) किसके गढ़ने मात्र से भाषा का विकास नहीं होता?(iv) किन चीजों को व्यवहार में लाना ही भाषा को आधुनिकता प्रदान करना है?(v) उपर्युक्त गद्यांश के माध्यम से लेखक ने कौन-सी बात बताई है?

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(i) प्रस्तुत गद्यावतरण हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘गद्य-गरिमा’ में संकलित तथा श्रेष्ठ विचारक व निबन्धकार जी० सुन्दर रेड्डी द्वारा लिखित ‘भाषा और आधुनिकता’ शीर्षक शोधपरक निबन्ध से अवतरित है।
अथवा
पाठ का नाम –
 भाषा और आधुनिकता।
लेखक का नाम – प्रो०जी० सुन्दर रेड्डी।

(ii) रेखांकित अंश की व्याख्या-किसी भाषा में आधुनिकता का समावेश तभी हो सकता है, जब उसमें नये-नये जनप्रचलित शब्दों, मुहावरों तथा लोकोक्तियों को समाहित कर लिया जाए। इन बातों के समावेश से भाषा व्यावहारिक हो जाती है।

(iii) आधुनिक युगीन विचारधाराओं के अनुरूप नये शब्दों के गढ़ने मात्र से भाषा का विकास नहीं होता।

(iv) नये पारिभाषिक शब्दों को एवं नूतन शैली प्रणालियों को व्यवहार में लाना ही भाषा को आधुनिकता प्रदान करना है।

(v) उपर्युक्त गद्यांश में लेखक ने भाषा को आधुनिक बनाने के उपाय बताए हैं।



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