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दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?

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प्रशन :- दिल के भोलेपन के साथ-साथ अक्खड़पन और जुझारूपन को भी बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है?

उत्तर :- दिल के भोलेपन’ में सहजता, सच्चाई और ईमानदारी का  है। ‘अक्खड़पन’ से अभिप्राय अपनी बात पर दृढ़ रहने का भाव है और ‘जुझारूपन’ से तात्पर्य संघर्षशीलता से है।

कवयित्री कहती है कि हमेशा दिल का भोलापन ठीक नहीं होता है क्यूंकि भोलेपन का फायदा उठाने वालों के साथ अक्खड़पन भी दिखाना जरुरी होता है और कर्म की पूर्ति के लिए जुझारूपन भी आवश्यक होता है तथा इसलिए कवयित्री ने अपने समाज की इन तीन प्रमुख विशेषताओं को बचाने की आवश्यकता पर बल दिया है।



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