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दूसरे वचन में ईश्वर से क्या कामना की गई है और क्यों?

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दूसरे वचन में ईश्वर के सम्मुख संपूर्ण समर्पण का भाव है। इस वचन में ईश्वर से अपना सब कुछ छीन लेने के बात की गई है। कवयित्री चाहती है कि वह सांसारिक वस्तुओं से पूरी तरह खाली हो जाए; उसे खाने के लिए भीख तक ना मिले। ऐसी परिस्थिति आने पर उसका अहंकार भाग नष्ट हो जाएगा; उसे वास्तविकता का ज्ञान हो जाएगा और वह प्रभु भक्ति में समर्पित हो जाएगी।



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