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द्वितीय विश्वयुद्ध के परिणाम अत्यन्त विनाशकारी थे। भविष्य में ऐसे युद्धों को रोकने के लिए दो सुझाव दीजिए।

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द्वितीय विश्वयुद्ध कितना विनाशकारी था, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसमें 5 करोड़ से अधिक लोग मारे गये, करोड़ों लोग घायल व बेकार हो गये। लगभग 1 करोड़ 20 लाख लोगों को तो जर्मनी व इटली के यन्त्रणा शिविरों में अपनी जान गॅवानी पड़ी। इस युद्ध में सबसे अधिक हानि जर्मनी व रूस को उठानी पड़ी। इनके अतिरिक्त पोलैण्ड तथा चेकोस्लोवाकिया में शायद ही कोई गाँव बचा हो, जो युद्ध में नष्ट न हुआ हो। फ्रांस, हॉलैण्ड, बेल्जियम आदि राष्ट्रों में असंख्य लोग भूख से तड़प-तड़प कर मर गये। मानवता का यही तकाजा है कि भविष्य में ऐसे युद्ध न हों। इसके लिए दो सुझाव आगे दिये गये हैं

1. निरस्त्रीकरण – द्वितीय विश्वयुद्ध में जितना भी जन-जीवन या सम्पत्ति का विनाश हुआ, उसका मुख्य कारण विनाशकारी अस्त्र-शस्त्रों का खुलकर प्रयोग किया जाना था। अन्त में परमाणु बमों के प्रयोग ने तो जैसे मानवता को ही अनदेखा कर दिया। विभिन्न देशों के आपसी हितों के टकराव के कारण उनके पारस्परिक मतभेद तो सदा चलते और सुलझते रहेंगे, परन्तु शस्त्रों से सुसज्जित राष्ट्रों का रवैया संयमविहीन हो जाता है और वहीं से युद्धों की भयानक विभीषिका का प्रारम्भ होता है। अत: सर्वप्रथम हमें निरस्त्रीकरण को अपनाना होगा।

2. शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र संघ – हमें संयुक्त राष्ट्र संघ को इतना शक्तिशाली व प्रभावी बनाना होगा कि वह विभिन्न राष्ट्रों के आपसी विवादों को प्रभावी ढंग से सुलझा सके, कोई भी राष्ट्र उसके द्वारा लिये गये निर्णयों की अवहेलना न कर सके और आवश्यकता पड़ने पर संयुक्त राष्ट्र संघ बल प्रयोग भी कर सके। सभी राष्ट्र अपने विवादों को संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर ही प्रस्तुत करें और उसके निर्णय को मानने के लिए बाध्य हों। संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्य-क्षेत्र को भी विस्तृत बनाना होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ को महाशक्तियों के प्रभाव से मुक्त रखने के लिए वीटो’ की शक्ति का उन्मूलन किया जाना चाहिए।



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