InterviewSolution
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                                    तुष्टीकरण की नीति से क्या अभिप्राय है? यह द्वितीय विश्वयुद्धका कारण कैसे बनी ? | 
                            
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Answer»  तुष्टीकरण से अभिप्राय है, किसी के आक्रमण को मूक मान्यता देना अथवा किसी आक्रामक शक्ति को मनाने के लिए किसी अन्य देश की बलि दे देना। आक्रामक शक्तियों की निन्दा करने की अपेक्षा पश्चिमी देशों ने ऐसी शक्तियों के प्रति तुष्टीकरण की नीति अपनायी। इसी तुष्टीकरण की नीति के कारण विश्व को एक अन्य युद्ध झेलना पड़ा। इस तथ्य के निम्नलिखित प्रमाण दिये जा सकते हैं 1. तत्कालीन यूरोप में दो बड़े खतरे थे—फासीवाद से और साम्यवाद से। युद्धकालीन साम्यवाद ने पश्चिमी यूरोपीय देशों को आतंकित कर रखा था। उन्हें यह भी भय था कि कहीं उनके देश में मजदूर स्वयं को संगठित करके सामाजिक क्रान्ति न कर दें। पश्चिमी देशों ने फासीवाद को तो सहन कर लिया, परन्तु मजदूरों के समर्थक साम्यवादी देश रूस का विरोध किया। जब जापान, इटली तथा जर्मनी ने कोमिण्टर्न विरोधी गठबन्धन स्थापित किया तो पश्चिमी देशों ने राहत का अनुभव किया, किन्तु यह उनकी भूल थी। उन्हें धुरी शक्तियों को उसी समय दबा देना चाहिए था। 2. पश्चिमी देशों ने दूरदर्शिता से काम नहीं लिया। उन्हें प्रथम महायुद्ध में पराजित जर्मनी तथा इटली से सावधान रहना चाहिए था। सन् 1936 ई० में जर्मनी ने वर्साय सन्धि की शर्तों को भंग करते हुए जब राइनलैण्ड में प्रवेश किया तब उसे रोकने के लिए पश्चिमी देशों के द्वारा कुछ नहीं किया गया। 3. जापान ने जब चीन पर आक्रमण किया तो ब्रिटेन और फ्रांस ने राष्ट्र संघ के कहने पर भी उसके विरुद्ध प्रतिबन्धों पर कोई विचार नहीं किया। सन् 1933 ई० में जापान राष्ट्र संघ से अलग हो गया। उसने चीन में अमेरिका तथा ब्रिटेन की सम्पत्ति भी जब्त कर ली, फिर भी इन देशों की तुष्टीकरण की नीति जारी रही। 4. सन् 1935 ई० में इटली ने इथोपिया पर आक्रमण किया। राष्ट्र संघ ने इटली की कड़ी आलोचना की तथा उसके विरुद्ध आर्थिक प्रतिबन्ध लगाने की भी बात कही, किन्तु फ्रांस, इंग्लैण्ड और अमेरिका ने इटली को दण्ड देने के लिए कुछ नहीं किया। 5. सन् 1936 ई० में स्पेन में गृहयुद्ध छिड़ गया था। वहाँ सेना ने जनरल फ्रांको के नेतृत्व में लोकतान्त्रिक मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका। अन्य फासिस्ट देशों ने भी जनरल फ्रांको की सहायता की, तब ब्रिटेन और फ्रांस ने वहाँ की संवैधानिक सरकार को बचाने का कोई प्रयास नहीं किया। 6. सन् 1938 ई० में जर्मनी ने चेकोस्लोवाकिया के सुदेतेनलैण्ड क्षेत्र पर अपना दावा किया, तब फ्रांस और इंग्लैण्ड के प्रधानमन्त्रियों ने म्यूनिख समझौते के तहत हिटलर की शर्तों को मान लिया। सन् 1939 ई० में जर्मनी ने सम्पूर्ण चेकोस्लोवाकिया पर अधिकार कर लिया। पश्चिमी देशों की तुष्टीकरण की नीति ने फासिस्ट शक्तियों को बल प्रदान किया। यदि फासिस्टों पर रोक लगा दी जाती तो सम्भव था कि द्वितीय विश्वयुद्ध टल जाता।  | 
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