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Ek din maine pucha suraj se tum itna q jalte ha kavita

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लकर धीरे-धीरे सूरज जब जग जाता है ।सिर पर रखकर पाँव अँधेरा चुपके से भग जाता है ।हौले से मुस्कान बिखेरी पात सुनहरे हो जाते ।डाली-डाली फुदक-फुदक करसारे पंछी हैं गाते ।थाल भरे मोती ले करकेधरती स्वागत करती है ।नटखट किरणें वन-उपवन मेंखूब चौंकड़ी भरती हैं ।कल-कल बहती हुई नदी में सूरज खूब नहाता हैकभी तैरता है लहरों परडुबकी कभी लगाता है । पर्वत –घाटी पार करेमैदानों में चलता है ।दिनभर चलकर थक जाता साँझ हुए फिर ढलता है ।नींद उतरती आँखों में फिर सोने चल देता है ।हमें उजाला दे करकेकभी नहीं कुछ लेता है ।I HOPE this will HELP YOUIF not then COMMENT me



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