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एक गाँव - गाडगे बाबा का प्रवेश - बाबा करा स्वच्छता अभियान में लगना- लोगों का रोजाना एक घंटा अभियान में जूड़ना- लोगो को स्वच्छता का महत्व पता चलना - बाबा का दूसरे गांव जाना.... इस मुद्दे पर कहानी​

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Explanation

संत गाडगे बाबा

इस देश में अनेक संतों ने जन्म लिया है। उनमें से एक है संत गाडगे बाबा। ऐसे महान संत गाडगे बाबा उर्फ डेबूजी महाराज की आज 63वीं (20 दिसंबर 1956) पुण्य तिथि है। गाडगे बाबा का जन्म 23 फरवरी 1876 महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजनगांव में एक धोबी परिवार में हुआ था। डेबुजी झिंगराजी जानोरकर को संत गाडगे महाराज और गाडगे बाबा के नाम से जाने जाते थे। वे एक समाज सुधारक और घुमक्कड भिक्षुक थे। गाडगे बाबा एक सच्चे कर्मयोगी थे।

अनपढ़ मगर बुद्धिमान

गाडगे बाबा अनपढ़ थे, किंतु बड़े बुद्धिमान थे। पिता की मौत के बाद वह नाना के पास रहने लगे। बाबा यहां पर गायें चराने और खेती का काम करना पड़ा था। किसी कारणवश बाबा 1905 से 1917 तक अज्ञातवास पर रहे। इसी बीच उन्होंने जीवन को बहुत नजदीक से देखा। उन्होंने देखा अंधविश्वासों, बाह्य आडंबरों, रूढ़ियों तथा सामाजिक कुरीतियों एवं दुर्व्यसनों से समाज को कितनी भयंकर हानि हो सकती है, इसका उन्हें भलीभांति अनुभव हुआ। जिसका इनका उन्होंने विरोध किया।

सीधे साधे झाड़ू लिये जाते हुए गाडगे बाबा

सफाई करने के बाद बधाई

गाडगे बाबा किसी गाँव में जाते थे तो गाडगे पहले गटर और रास्तो को साफ़ करने लगते। काम खत्म होने के बाद वे खुद लोगो को गांव के सफाई होने की बधाई भी देते थे। गाँव के लोग उन्हें पैसे भी देते थे और बाबाजी उन पैसो का उपयोग सामाजिक विकास और समाज का शारीरिक विकास करने में लगाते। लोगो से मिले हुए पैसो से महाराज गाँवो में स्कूल, धर्मशाला, अस्पताल और जानवरो के निवास स्थान बनवाते थे।



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