InterviewSolution
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एक वृताकार कुण्डली जिसमें 16 फेरें है,जिसकी त्रिज्या 10 सेमि है ओर जिसमें `0.75A ` धारा प्रवाहित हो रही है, इस प्रकार रखी है की इसका तल `5.0xx10^(-2) ` T परिमाण वाले बाह्य क्षेत्र के लम्बवत है| कुण्डली ,चुम्बकीय क्षेत्र के लम्बवत हुए इसके अपने तल में स्थित एक अक्ष के चरों तरफ घूमने के लिए स्वतंत्र हैं |यदि कुण्डली को जरा-सा घुमाकर छोड़ दिया जाएँ तो यह अपनी स्थायी सन्तुलनावस्था के इधर-उधर `2.0` सेकंड `""^(-1 )` के आवृति से दोलन करती है|कुण्डली का अपने घूर्णन अक्ष के परितः जड़त्व-आघूर्ण क्या है? |
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Answer» दिया है -वृतीय कुण्डली तार के फेरों की संख्या (n ) = 16 वृतिये कुण्डली की त्रिज्या (r )=10 सेमि० =0 .1 मीटर धारा `(I) =0.75A ` चुम्बकीय क्षेत्र ` (B) =5.0xx10^(-2) T ` आवृति `(f)=2` / सेकण्ड कुण्डली का चुम्बकीय आघूर्ण ` " "M =nIA =16xx 0.75xxpi (0.1)^(2) ` ` " "= 16xx0.75xx3.14xx0.1xx0.1` ` " "= 0.377J//T ` कुण्डली के दोलन की आवृति ` " "f =(1)/(2pi) sqrt ((mxxB) /(I) ) ` जहाँ I = कुण्डली का जड़त्व आघूर्ण है| दोनों ओर का वेग करने पर ` " "f^(2) =(1)/(4pi^(2)) *(MB)/(I) ` athva` " "I =(MB)/(4pif^(2)) =(0.377xx5xx10^(-2)) /(4xx3.14xx3.14xx2xx2)` ` " "= 1.2xx10^(-4) ` किग्रा० -मीटर `""^(2 )` अतः कुण्डली का जड़त्व आघूर्ण `1.2xx10^(-4) ` किग्रा० -मीटर `""^(2 )` |
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