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Essay on bache man ke sache in hindi for class 7 in 120 words

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कुशीनगर : बच्चे मन के सच्चे होते हैं। इनका मन कोरे कागज की तरह होता है। हम जो छाप बच्चों के मन मस्तिष्क पर डालेंगे उसका असर आजीवन दिखेगा। बच्चों को संस्कारवान, गुणवान, चरित्रवान व देश का योग्य नागरिक बनाना हम सबका अहम दायित्व है। बेहतर निर्देशन के जरिए हम बच्चों को जिम्मेदार बना रहे हैं। इसका असर भी दिख रहा है। योग्य नागरिक बनने के लिए बच्चों को शिक्षा व अपने कार्यों का आत्मावलोकन कर बुद्धिमता का हर क्षण प्रयोग करना होगा। ये बातें पडरौना नगर के रामकोला रोड स्थित डिजनी लैंड प्ले वे स्कूल में आयोजित संस्कारशाला शिविर में शिक्षिका प्रियंका त्रिपाठी ने कही। कहा कि बच्चों को खेल-खेल में शिक्षित व गुणवान बनाकर उनके सर्वांगीण विकास का पहल कारगर हो रहा है। बच्चों को खेलने, पढ़ने व बोलने में पूरी आजादी दें तो बच्चों में निश्चित रूप से चतुर्दिक विकास होगा। हमें बच्चों की भावनाओं का भी कद्र करना होगा। इन्हें अबोध व छोटा समझकर यूं ही टाल देने के निर्णय पर विराम लगाना होगा। बच्चों की मांगों को सहज रूप से नहीं टाल देना चाहिए। अन्यथा इनके कोमल मन मस्तिष्क पर नकारात्मक प्रभाव पडेगा। अभिभावक बच्चों के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए हर पल इनके सहयोग में लगे रहें तो स्कूल व घर के आपसी सामंजस्य से बच्चों की शैक्षणिक यात्रा की मंजिल सहज ही पूरी हो जाएगी। बच्चों में बुद्धिमता बड़ों से तनिक भी

कम नहीं होती। इनकी सोच, इनकी परिकल्पना का दायरा भले ही सीमित होता, लेकिन अपने सीमित दायरे में भीइनकी सोच औरों की तरह ही होती।












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