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Essay on topic season in hindi

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महाकवि कालिदास ने अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ऋतुसंहार की रचना का आधार भारत की छः ऋतुओं को बनाया है। भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ एक ही वर्ष में छः ऋतुओं का चक्र गतिमान होता है। भारत में ग्रीष्म, वर्षा, शरद, शिशिर, पतझड़ तथा वसंत ये छ: ऋतुएँ क्रम से आती हैंप्रत्येक ऋतु की कालावधि दो मास की होती है। ग्रीष्म ऋतु या गर्मी की ऋतु में सूर्य का आतप अपने परम बिंदु पर होता है। भयंकर गर्मी, लू तथा तपती धूप से पृथ्वी तवे की तरह तपने लगती है। पेड़-पौधों की हरियाली नष्ट हो जाती है। ग्रीष्म की भयंकर तपन के बाद वर्षा की सजल ऋतु आती है। बादल झुक-झुककर धरती को अपनी रसवर्षा से सरस बना देते हैं। ग्रीष्म के भयंकर ताप से झुलसी प्रकृति हरियाली से भरी-पूरी हो जाती है। सावन के झूले और कजली के गीतों से पूरा वातावरण झूम जाता है। आकाश में ऐसे काले बादल छा जाते हैं कि चारों तरफ अँधेरा-सा हो जाता है।वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु; न अधिक गर्मी न सर्दी। शरद ऋतु का मौसम सुहावना होता है। शरदकाल का चंद्रमा अपनी निर्मल चाँदनी के लिए जाना जाता है। कवियों ने इस ऋतु को ‘शरद् सुंदरी’ की संज्ञा दी है। विजयादशमी और दीपावली इस ऋतु में आनेवाले प्रमुख त्योहार हैं। शरद के बाद सर्दी बढ़कर बदन को कंपकंपाने लगती है और भूमंडल पर प्रकाश और ऊर्जा का संवाहक सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर से दक्षिणी गोलार्द्ध की ओर जाने लगता है। हेमंत ऋतु आती है, जाड़ा आ जाता है। हेमंत के बाद जनवरी मास में पड़नेवाले मकर संक्रांति पर्व से शिशिर ऋतु का आगमन होता है। शिशिर पतझड़ की ऋतु कही जाती है, इसे वसंत-दूत भी कहते हैं। पेड़ों के पुराने पत्ते झड़कर नए पत्तों के आने अर्थात् बसंत के आगमन की सूचना देते हैं। बसंत इस प्रकार वृक्षों एवं वनस्पतियों को प्राचीनता से नवीनता की ओर अग्रसर कर देता है। बसंत में पेड़-पौधों में पुष्प, तालाबों में कमल, स्त्रियों में कामदेव का वास और हवा में सुगंध भर जाती है। रातें सुखयुक्त और दिन रम्य हो जाते हैं। इस प्रकार सब कुछ प्रियता को प्राप्त हो जाता है।



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