InterviewSolution
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गाइगर - मार्सडन प्रयोग में 7 - 7 MeV के किसी `alpha` - कण की स्वर्ण नाभिक से क्षण भर के लिए विरामावस्था में आने से पहले तथा दिशा प्रतिलोमन से पूर्व समीपतम दूरी क्या हैं ? |
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Answer» प्रकीर्णन प्रक्रम की समस्त अवधि में किसी तंत्र जैसे - `alpha` कण एंव स्वर्ण नाभिक की कुल यांत्रिक ऊर्जा संरक्षित रहती हैं । `alpha` - कण एंव नाभिक की अन्योन्य क्रिया से पूर्व तंत्र की प्रारंभिक यांत्रिक ऊर्जा `E_(i)` कण के क्षणिक रुप से विरामावस्था में आने पर उसकी यांत्रिक ऊर्जा `E_(f)` के बराबर हैं । प्रारंभिक ऊर्जा `E_(1)` का मान `alpha` - कण की गतिज ऊर्जा K के ठीक बराबर हैं तथा अंतिम ऊर्जा `E_(f)` तंत्र की विद्युत स्थितिज ऊर्जा U हैं । माना `alpha` - कण के केन्द्र और स्वर्ण नाभिक के केन्द्र के बीच की दूरी `r_(0)` हैं , जब `alpha` - कण विराम में हैं , तब `E_(i) = E_(f)` `therefore alpha -` कणों की गतिज ऊर्जा K = `7*7 MeV = 7*7 xx 1*6 xx 10^(-13)J` = `12*32 xx 10^(-13)J` स्वर्ण के लिए Z = 79 निकटतम पहुँच की देरी `r_(0)= (1)/(4 pi epsi_(0)) (2Ze^(2))/(K)` `(2xx(9 xx 10^(9)Nm^(2)//c^(2))xx79xx(1.6 xx 10^(-19)C)^(2)Z)/(12.32xx10^(-13)J)` `= 29.5 xx10^(-15)m = 30` फर्मी । |
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