InterviewSolution
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Gandhiji se ____ kho gaya tha |
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गांधी जयंती पर बापू की याद में एक गीतः कहां खो गया गांधी पथ? सड़क पर महात्मा गांधी [फाइल फोटो] इनसेट में कवि ओम निश्चल महात्मा गांधी का यह 150वां जयंती वर्ष है. एक तरफ देश में गोड़सेवादियों का महिमामंडन होता है दूसरी तरफ सत्ता महात्मा गांधी के नाम पर करोड़ों रुपए बहा कर उनका महिमामंडन करती है. देश में स्वच्छता अभियान चलाया गया तो गांधी ही काम आए. उनके नाम पर शपथें ली गयीं किन्तु देश स्वच्छता के नक्शे पर कितना स्वच्छ हो सका यह सवाल अपनी जगह है. कहना न होगा कि गांधी इस देश में एक ऐसा ब्रांड बन गए हैं, जिनसे न पीछा छुड़ाया जा सकता है न उन्हें पूरी तरह अपनाया जा सकता है. अचरज नहीं कि बुद्ध और गांधी के इस देश में हिंसा उत्तरोत्तर बढ़ी है. सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह, संयम, आचार-विचार में आज गांधी के मूल्य कहां हैं? वे उत्तरोत्तर अप्रासंगिक बना दिए जाने वाले महानायक हैं जिनकी सांकेतिक प्रांसगिकता सिद्ध करना राजनीतिकों की भी मजबूरी है और सत्तारूढ़ दल की भी. जहां जवाहर लाल नेहरू जैसे कद्दावर नेता की छवि सवालों के घेरे में है, वहीं गांधी अभी सत्तारूढ़ राजनीति, विपक्ष और आम आदमी सबकी जरूरत हैं. भले ही आदमी सांप्रदायिक हो, हिंसक हो, लेकिन खादी के आवरण में लिपटा वही सबसे ज्यादा गांधी का प्रशंसक बन बैठा है. गांधी-गांधी के कोलाहल में डूबे इस देश में गांधी कितने प्रासंगिक रह गए हैं यह हर कोई जानता है. गांधी के गुणगान में पत्र-पत्रिकाएं लगी हैं. भाषा और साहित्य के संस्थान, विश्वविद्यालय इत्यादि जिसे देखो, सभी गांधी पर विशेष अंक निकाल रहे हैं. गांधी पर अचानक उमड़ी इस देशव्यापी श्रद्धा के बावजूद न कोई गांधी की तरह जीवन शैली का पक्षधर है न गांधी के सत्य, अहिंसा व अपरिग्रह के मार्ग पर चलने का हामी, गांधी के नाम पर हमने महात्मा गांधी मार्ग बनाए और उन पर खुद ही चलना भूल गए. वे केवल मार्ग या पथ बन कर रह गए. गांधी के देश में गांधी सरीखे सीधे-सच्चे इंसान गुम होते गए और सतह पर बहुरुपिए हावी होते गए. ग्राम स्वराज के नाम पर गांवों को राजनीति का अखाड़ा बना दिया गया, तो चुनाव को लोकतंत्र का प्रहसन. ऐसे में गांधी एक कवि के लिए क्या मायने रखते हैं, गांधी की राह आखिर कहां और क्यों कर खो गयी? कवि गीतकार डॉ ओम निश्चल ने अपने गीत में इसे खूबसूरती से पिरोया है. पढ़िए साहित्य आज तक के लिए खासतौर से लिखा गया डॉ ओम निश्चल का यह गीत: |
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