1.

Gaon ki dharti poem written by Narendra Sharma ka arth​

Answer»

ANSWER:

चमकीले पीले रंगों में अब डूब रही होगी धरती,

खेतों खेतों फूली होगी सरसों, हँसती होगी धरती!

पंचमी आज, ढलते जाड़ों की इस ढलती दोपहरी में

जंगल में नहा, ओढ़नी पीली सुखा रही होगी धरती!

इसके खेतों में खिलती हैं सींगरी, तरा, गाजर, कसूम;

किससे कम है यह, पली धूल में सोनाधूल-भरी धरती!

शहरों की बहू-बेटियाँ हैं सोने के तारों से पीली,

सोने के गहनों में पीली, यह सरसों से पीली धरती!

सिर धरे कलेऊ की रोटी, ले कर में मट्ठा की मटकी,

घर से जंगल की ओर चली होगी बटिया पर पग धरती!

कर काम खेत में स्वस्थ हुई होगी तलाब में उतर, नहा,

दे न्यार बैल को, फेर हाथ, कर प्यार, बनी माता धरती!

पक रही फसल, लद रहे चना से बूँट, पड़ी है हरी मटर,

तीमन को साग और पौहों को हरा, भरी-पूरी धरती!

हो रही साँझ, आ रहे ढोर, हैं रँभा रहीं गायें-भैंसें;

जंगल से घर को लौट रही गोधूली बेला में धरती!

EXPLANATION:

PLEASE MARK it as BRANLIEST



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions