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घर की नेपाँचवाँ मैं हूँ अभागा,जिसे सोने पर सुहागा,पिता जी कहते रहे हैंप्यार में बहते रहे हैंपिता जी ने कहा हहाय, कितना सहा हकहाँ, मैं रोता कहाँधीर मैं खोता, कहाहे सजीले हरेहे कि मेरे पुण्यआज उनके स्वर्ण बेटे.लगे होंगे उन्हें हेटे,क्योंकि मैं उनपर सुहागाबँधा बैठा हूँ अभागा,तुम बरस लो वे नपाँचवें को वे नऔर माँ ने कहा होगा,मैं मजे में हूँ |
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Answer» महान Explanation: |
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