InterviewSolution
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घरेलू हिंसा से क्या तात्पर्य है? महिलाएँ किस प्रकार घरेलू हिंसा से पीड़ित हैं? |
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Answer» भारतीय समाज में महिलाओं को घरेलू हिंसा एवं उत्पीड़न का भी सामना करना पड़ता है। यह उत्पीड़न भी अत्यधिक व्यापक है। इसमें भी साधारण उत्पीड़न से लेकर हत्या तक के उदाहरण प्रायः मिलते रहते हैं। इस वर्ग के उत्पीड़न एवं हिंसा का विवरण निम्नवर्णित है 1. दहेज के कारण होने वाली हत्याएँ-भारतीय समाज में दहेज प्रथा भी एक प्रमुख समस्या मानी जाती है। यह भारतीय समाज में पाया जाने वाला एक ऐसा अभिशाप है जो आज भी अनेक सरकारी एवं गैर-सरकारी प्रयासों के बावजूद अपनी अस्तित्व बनाए हुए है। दहेज के कारण लड़की के माता-पिता को कई बार अनैतिक साधनों को अपनाकर उसके दहेज का प्रबन्ध करना पड़ता है। ज्यादा दहेज न ला पाने के कारण अनेक नवविवाहित वधुओं को सास-ससुर तथा ननद आदि के ताने सुनने पड़ते हैं। 2. विधवाओं पर होने वाले अत्याचार-भारतीय समाज में विधवाओं की सामाजिक स्थिति अत्यन्त निम्न रही है। हिन्दू समाज में तो स्त्री का पति ही सब कुछ माना जाता है तथा उसे भगवान व देवता तक का पद प्रदान किया जाता है। पति की मृत्यु के पश्चात् विधवा स्त्री की स्थिति अत्यन्त शोचनीय हो जाती है तथा परिवार और समाज के सदस्य उसे हीन दृष्टि से देखते हैं। उन्हें पुनर्विवाह करने की अनुमति भी प्रदान नहीं की जाती है जिसके कारण उन्हें पति के परिवार में ही अपमानजनक, उपेक्षित, नीरस एवं आर्थिक कठिनाइयों से भरा हुआ जीवन व्यतीत करना पड़ता है। विधवाओं का किसी भी शुभ अवसर पर जाना अपशगुन माना जाता रहा है। इसलिए उन्हें सामाजिक जीवन से अलग-थलग कर दिया जाता रहा है। 3. तलाकशुदा स्त्रियों पर होने वाले अत्याचार-विवाह-विच्छेद अथवा तलाक भारतीय स्त्रियों की एक प्रमुख समस्या है। परम्परागत रूप से पुरुषों को अपनी पत्नियों को तलाक देने का अधिकार प्राप्त था। मनुस्मृति में कहा गया है कि यदि कोई स्त्री शराब पीती है, हमेशा पीड़ित रहती है, अपने पति की आज्ञा का पालन नहीं करती है तथा धन का सर्वनाश करती है तो मनुष्य को उसके जीवित रहते हुए भी दूसरा विवाह कर लेना चाहिए। पुरुषों की ऐसी स्थिति होने पर स्त्री को उन्हें छोड़ने का अधिकार प्राप्त नहीं था। तलाकशुदा स्त्री को आज भी , समाज में एक कलंक माना जाता है तथा हर कोई व्यक्ति उसी को दोष देता है चाहे यह सब उसके शराबी, जुआरी व चरित्रहीन पति के कारण ही क्यों न हुआ हो। 4. पत्नी की मार-पिटाई-घरेलू हिंसा का एक अन्य रूप पत्नी के साथ होने वाली मार-पिटाई है। अनेक स्त्रियाँ पति द्वारा किए जाने वाले इस प्रकार के अत्याचारों को चुपचाप सहन करती रहती हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस प्रकार की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है यद्यपि इसके बारे में किसी भी प्रकार के आँकड़े उपलब्ध नहीं हैं। राम आहूजा के अनुसार मार-पिटाई की शिकार स्त्रियों की आयु अधिकतर 25 वर्ष से कम होती है। अधिकतर ऐसी घटनाएँ निम्न आय वाले परिवारों में अधिक होती हैं। इसके कारणों का उल्लेख करते हुए आहूजा ने बताया है कि इनमें यौनिक असामंजस्य, भावात्मक अशान्ति, पति का अत्यधिक घमण्डी होना, पति का शराबी होना तथा पत्नी की निष्क्रियता व बुजदिली प्रमुख हैं। |
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