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Give the translation of lesson of a hero.

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Swami is a ……………………. it from today. 

हिन्दी अनुवाद- स्वामी एक नौ वर्ष का लड़का है, जो अपने माता-पिता और दादी के साथ मालगुड़ी गाँव में रहता है। एक दिन उसके पिताजी अखबार पढ़ रहे थे। पिताजी : स्वामी इसे सुनो, एक खबर जिसमें बताया है इस गाँव के लड़के की बहादुरी के बारे में जिसका जंगल के रास्ते घर लौटते समय एक बाघ से सामना हुआ, फिर कुछ लोग उस रास्ते आए और बाघ को मार डाला। इसे अच्छे से पढ़ने के बाद पिताजी ने स्वामी की तरफ देखा और पूछा, “तुम इसके बारे में क्या कहते हो?” 

स्वामी : मुझे लगता है कि वह एक लड़का नहीं बल्कि एक बहुत बलशाली, वयस्क आदमी होगा । एक लड़का बाघ से कैसे लड़ सकता है? 

पिताजी : एक इंसान के पास हाथी जैसी ताकत हो सकती है और फिर भी वह कायर हो सकता है। जबकि एक दूसरे इंसान में फूस (तिनका) जितनी ताकत होने पर भी साहस हो, तो वह कुछ भी कर सकता है। स्वामी : मान लीजिए मुझमें बहुत साहस है। अगर एक बाघ मुझ पर आक्रमण करे तो मैं क्या कर सकता हूँ? 

पिताजी : ताकत की तो बात छोड़ो, क्या तुम सिद्ध कर सकते हो कि तुम साहसी हो? मैं देखना चाहता हूँ कि क्या तुम मेरे दफ्तर में आज रात अकेले सो सकते हो। (स्वामी हमेशा अपनी दादी के साथ सोता था जो उसके पिताजी को नापसंद था।) स्वामी : अगले महीने की पहली तारीख से मैं अकेला सोऊँगा, पिताजी । पिताजी : नहीं, तुम्हें यह आज ही से करना होगा। 

In the evening…………. Malgudi Times. 

हिन्दी अनुवाद- शाम को स्वामी अपनी दादी के पास गया और उनके कम्बल के नीचे सो गया। उसके पिताजी आए और उसे बोले : पिताजी : चलो उठो। 

दादी : तुम उसे क्यों परेशान कर रहे हो? (पिताजी ने उसका बिस्तर मोड़ दिया और अपनी बाँह के नीचे दबा लिया ।) 

पिताजी : आओ मेरे साथ। स्वामी : कृपा करके मुझे हॉल में सोने दीजिए। आपके दफ्तर में बड़ी धूल है और आपकी कानून की किताबों के पीछे. बिच्छू हो सकते हैं। 

पिताजी : नहीं, तुम्हें अँधेरे से न डरना सीखना ही होगा। यह सिर्फ आदत की बात है। तुम्हें अच्छी आदतें अपनानी चाहिए। 

जैसे ही रात गहरी हुई और घर में शांति बढ़ी, स्वामी का दिल और तेज़ी से धड़कने लगा। अपने जीवन में उसने भूतों और पिशाचों की जो भी कहानियाँ सुनी थी, वह उसे याद आ गईं। उसने अपनी आँखें भींच लीं और बेंच के नीचे अपने ऊपर कम्बल ओढ़ लिया। 

उसने दादी को महसूस करने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाया, जैसी उसकी आदत थी, परन्तु उसने बेंच के लकड़ी के पैर को छू लिया। डर से उसका पसीना छूट गया। स्वामी बेंच के कोने में सरक गया। उसने अंधेरे में टकटकी लगाकर देखा। नीचे कुछ चल रहा था। जैसे ही वह पास आया, उसे भूत जानकर, वह बेंच के नीचे से रेंगता बाहर आया और पूरे बल से उसका गला पकड़ लिया। उसने उसपर अपने दाँतों को हथियार की तरह प्रयोग किया। वह प्राणी दर्द से चिल्ला उठा । 

उसी क्षण उसके पिताजी, रसोइया, और एक नौकर रोशनी लेकर आए। तीनों उस सेंधमार के ऊपर जा गिरे जो फर्नीचर के बीच खून बहते टखने के साथ पड़ा था। पिताजी ने पुलिस को बुलाया। पुलिस स्वामी के आभारी हुए क्योंकि उसने एक कुख्यात चोर को पकड़ा था। अगले दिन स्कूल में, स्वामी के सहपाठियों ने उसे बधाई दी और उसकी तरफ सम्मान से देखा । प्रधानाध्यापक ने कहा कि स्वामी एक सच्चा स्काउट है। उसकी बहादुरी की कहानी मालगुड़ी टाइम्स में भी प्रकाशित हुई।



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