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गंगा नदी – तंत्र के विषय में समझाइए ।

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गंगा नदी हिमालय के गंगोत्री से निकलनेवाली भागीरथी और अलकनंद के देवप्रयाग में मिलने से बनती है । इसकी कुल लम्बाई 2500 कि.मी. है । हरिद्वार के पास गंगा नदी मैदान में प्रवेश करती है । दिल्ली को गंगा का प्रवेशद्वार तथा अंबाला गंगा और सिंधु का जल-विभाजक हैं । गंगा की मुख्य सहायक नदियों में यमुना, घाघरा, गंडक, कोसी हिमालय की तथा चंबल, बेतवा और सोन नदियाँ प्रायद्विपीय पठारी गंगा और उसकी सहायक नदियों के द्वारा निर्मित उपजाऊ मैदान से भारत ने कृषि क्षेत्र में समृद्धि प्राप्त की है ।

उत्तर तथा दक्षिण में से मिलनेवाली नदियों का संयुक्त प्रवाह आगे चलकर दो भागों में बँटता है । पहला भाग बाँग्लादेश में ‘पद्मा’ दूसरा भाग बंगाल में हुगली के नाम से जाना जाता है । गंगा का प्रवाह पद्मा बाँग्लादेश में ब्रह्मपुत्र से मिलकर संयुक्त रूप से मेघना के नाम से जाना जाता है ।। गंगा अपने मुहाने पर विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा सुन्दर वन की रचना करता है, जो मेन्युव जंगलों के लिए प्रसिद्ध है । अंबाला से सुन्दरवन तक मैदान का प्रति 6 कि.मी. पर एक मीटर ढलान कम होता हैं, इसीलिए इस नदी में विसर्पण अधिकतर दिखाई देता है ।



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