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गणरापासस(ix)(x)(xi)हाय! फूल-सी कोमल बच्चीहुई राख की थी ढेरी।सिखवत चलत यशोदा मैयाअरबराई कर पानि गहावत डगमगाई धरनी धरै मैयाकबहुँक सुन्दर बदन विलोकति उर आनन्द भरि लोल बलैयाकबहुँक बल को टेरि बुलावत इहि आंगन खेलौ दोउ भैया।वह खून कहो मतलब का, जिसमें उबाल का नाम नहीं।वह खून कहो मतलब का, आ सके देश के काम नहीं।वह खून कहो मतलब का, जिसमें जीवन न रवानी हैजो परवश होकर बहता है, वह खून नहीं है, पानी है।दुख ही जीवन की व्यथा रही।क्या कहूँ आज जो नहीं कही।चरन कमल बन्दौ हरि राई।जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे, अंधे को सब कुछ दरसाई।बहिरौ सुनै गूंग पुनि बोले, रँक चले सिर छत्र धराईसूरदास स्वामी करुनामय बार-बार बंदौ तिहि पाईश्री कृष्ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।सब शील अपना भूलकर करतल युगल मलने लगे।संसार देखे अब हमारे शत्रु रण में मृत पड़े।करते हए यह घोषणा के हो गए उठकर खड़े।(xii)(xii)(xiii)ras kya hai plz bolo na plz​

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