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ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए।

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ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक ग्रामीण बस्तियों के प्रकारों को निर्धारित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं

1. भौतिक कारक – बस्तियों के प्रकार और विभिन्न बस्तियों के बीच आपसी दूरी के निर्धारण में उच्चावच, ऊँचाई, अपवाह-तन्त्र, भौम जल-स्तर की गहराई, जलवायु तथा मिट्टी जैसे भौतिक कारकों का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उदाहरण के लिए; शुष्क क्षेत्रों में बस्ती का प्रकार निर्धारित करने वाला पानी अकेला महत्त्वपूर्ण कारक है। वहाँ मकान जल के स्रोत जैसे कुएँ या तालाब के चारों तरफ बनाए जाते हैं।

2. सांस्कृतिक एवं मानवजातीय कारक – नृ-जातीय एवं सांस्कृतिक कारण जैसे जन-जातीयता, जाति व्यवस्था अथवा साम्प्रदायिक पहचान आदि भी ग्रामीण बस्तियों के अभिन्यास को प्रभावित करते हैं। भारत के गाँवों में उच्च जातियों के जमींदारों के घर गाँव के बीचों-बीच उनके केन्द्र के रूप में बने होते हैं। इनके चारों तरफ सेवा व चाकरी करने वाले कमजोर वर्ग की जातियों जैसे कुम्हार, लोहार, बुनकर, बढ़ई आदि के घर होते हैं। अनुसूचित जाति के लोगों के घर प्रायः बस्ती से दूर गाँव की सीमा पर होते हैं। यह प्रवृत्ति सामाजिक अलगाव का उदाहरण है। इससे गुच्छित बस्ती का छोटी इकाइयों से विखण्डन हो जाता है।

3. सुरक्षा सम्बन्धी कारक – भारत के इन प्रदेशों में जहाँ बाहर से आने वाले आक्रमणकारी बार-बार युद्ध करते थे, लोग फौजों के आतंक से बचने के लिए संहत बस्तियों में रहने को प्राथमिकता देते थे। भारत के उत्तरी भाग में संहत बस्तियों के निर्माण में इन बाहरी युद्धों का भी योगदान है। ये संहत बस्तियाँ राजनीतिक अराजकता के समय भी ग्रामीण लोगों को सुरक्षा प्रदान करती थीं, जब राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने की होड़ में कुछ दल आपसी लड़ाई के भय और लूट का माहौल बना देते थे।



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