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ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा-व्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

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स्वास्थ्य विकास में उच्चतम प्राथमिकता ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा (देखभाल) व्यवस्था के निर्माण को दी गयी है। यह मद न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रमों तथा नये बीस सूत्री कार्यक्रम में सम्मिलित की गयी है। जून, 1999 ई० तक ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा व्यवस्था जिसमें स्वास्थ्य सेवा को परिवार नियोजन के साथ संयोजित किया गया है, के अन्तर्गत देश में उपकेन्द्र, प्राथमिक केन्द्र तथा सहायक स्वास्थ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र थे। सन् 2000 तक 5,000 जनसंख्या के लिए (पहाड़ी तथा आदिवासी क्षेत्रों में 3,000 के लिए) एक उपकेन्द्र तथा 30,000 जनसंख्या (पहाड़ी तथा आदिवासी क्षेत्रों में 20,000) के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे वर्ष 1990-91 में ही प्राप्त कर लिया गया।

प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र – प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा का केन्द्र बिन्दु है। यह योजना पहली पंचवर्षीय योजना में आरम्भ की गयी थी। उस समय से इनकी संख्या में वृद्धि हो गयी है। वर्ष 1977-78 से वर्तमान ग्रामीण डिस्पेन्सरियों का दर्जा बढ़ाकर उन्हें एक नये वर्ग सहायक स्वास्थ्य केन्द्रों में बदल दिया गया। उनके कार्यों में अब लोक स्वास्थ्य कार्य भी जोड़ दिया गया है।
उपकेन्द्र – उपकेन्द्र परिवार कल्याण कार्यक्रम के लिए अति आवश्यक है, क्योंकि इन उपकेन्द्रों से ग्रामीण लोगों को सेवाएँ और सप्लाई (सामग्री) प्रदान की जाती है। पिछले समय में सहायक नर्स-दाइयों की सीमित प्रशिक्षण क्षमता तथा वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण उपकेन्द्रों की स्थापना में बाधा पड़ी है। हाल के वर्षों में इनमें पुन: तेज प्रगति हुई है और जिन उपकेन्द्रों के पास अपने भवन नहीं थे, उन्हें अपने भवन देने का लक्ष्य रखा गया है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र – 1,00,000 व्यक्तियों के लिए एक गुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित करने की योजना है, जिसमें कम-से-कम 30 बिस्तर उपलब्ध हों तथा साथ ही स्त्री रोग चिकित्सा, शारीरिक रोग चिकित्सा, शल्य चिकित्सा और ओषधि सहित विशिष्ट सुविधाएँ उपलब्ध हों।



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