Saved Bookmarks
| 1. |
Hi...........friends 1.सुख और दुःख किसे कहते है और ये किस तरह गमनागमन किया करते हैं ?2.कवि न सुख को दूलहे को अनचाहे मेहमान जैसा क्यों कहा है ? |
|
Answer» सुख और दुःख जीवलोक में अटल हैं। उनसे मुक्ति पाना असम्भवः के समान है। नाहीं सुख उत्तम है और नाहीं दुःख, क्योंकि दोनों ही क्षणभंगुर हैं। और आपस में लिपटे हुए हैं। अतः हम जब तक प्राकृत जीवयोनि में उत्पन्न हैं तो उनके भोग से छुटकारा पाना व्यर्थ है। मरणोपरान्त की बात और है, वो यहाँ नहीं करेंगे। कोई भी सुख जैसे संपूर्ण रूपसे नहीं मिलता, वैसे दुःख भी तात्कालीन है और संपूर्ण रूपसे नहीं मिलता। दुःख के साथ थोड़ा सुख और सुख के साथ थोड़ा दुःख चिपका रहता है। |
|