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हिमालय पर्वत और दक्षिण पठार के लाभों की तुलना करें।

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हिमालय पर्वत तथा ढक्कन का पठार भारत के दो महत्त्वपूर्ण भू-भाग हैं। ये दोनों ही भू-भाग अपने-अपने ढंग से भारत देश को समृद्ध बनाते हैं। इनके लाभों की तुलना इस प्रकार की जा सकती है

हिमालय के लाभ-

  1. वर्षा-हिंद महासागर से उठने वाली मानसून पवनें हिमालय पर्वत से टकरा कर खूब वर्षा करती हैं। इस प्रकार यह उत्तरी मैदान में वर्षा का दान देता है। इस मैदान में पर्याप्त वर्षा होती है।
  2. उपयोगी नदियां-उत्तरी भारत में बहने वाली सभी मुख्य नदियां गंगा, यमुना, सतलुज, ब्रह्मपुत्र आदि हिमालय पर्वत से ही निकलती हैं। ये नदियां सारा साल बहती रहती हैं। शुष्क ऋतु में हिमालय की बर्फ इन नदियों को जल देती है।
  3. फल तथा चाय-हिमालय की ढलाने चाय की खेती के लिए बड़ी उपयोगी हैं। इनके अतिरिक्त पर्वतीय ढलानों पर फल भी उगाए जाते हैं।
  4. उपयोगी लकड़ी-हिमालय पर्वत पर घने वन पाये जाते हैं। ये वन हमारा धन हैं। इनसे प्राप्त लकड़ी पर भारत के अनेक उद्योग निर्भर हैं। यह लकड़ी भवन निर्माण कार्यों में भी काम आती है।
  5. अच्छे चरागाह-हिमालय पर हरी-भरी चरागाहें मिलती हैं। इनमें पशु चराये जाते हैं।
  6. खनिज पदार्थ-इन पर्वतों में अनेक प्रकार के खनिज पदार्थ पाए जाते हैं।
  7. पर्यटन-हिमालय में अनेक सुंदर और रमणीक घाटियां हैं। कश्मीर घाटी ऐसी ही एक प्रसिद्ध घाटी है। इसे पृथ्वी का स्वर्ग कहा जाता है। अन्य प्रमुख घाटियां हिमाचल प्रदेश में कुल्लू तथा कांगड़ा और उत्तरांचल में कुमायूँ की घाटियाँ हैं। सारे संसार से पर्यटक इन घाटियों की मनोहर छटा को निहारने के लिए यहां आते हैं।

दक्कन (दक्षिणी) पठार के लाभ

  1. दक्षिण का पठार खनिजों से संपन्न है। देश के 98% खनिज भंडार दक्षिणी पठार में ही मिलते हैं यहां कोयला, लोहा, तांबा, मैंगनीज़, अभ्रक, सोना आदि बहुमूल्य खनिज पाये जाते हैं।
  2. यहां की मिट्टी, कपास, चाय, रबड़, गन्ना, कॉफी, मसालों, तंबाकू आदि के उत्पादन के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  3. यहां नदियां जलप्रपात बनाती हैं जो जलविद्युत् के उत्पादन के लिये उपयोगी है।
  4. इस भाग में साल, सागवान, चंदन आदि के वन पाये जाते हैं।
  5. यहां उटकमंड, पंचमढ़ी, महाबालेश्वर आदि पर्यटन स्थानों का विकास हुआ है।


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