1.

हल्दी घाटी का युद्ध एक रोमांचकारी युद्ध था। स्पष्ट कीजिए।

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यहाँ महाराणा साँगा, महाराणा प्रताप, वीर जयमल और उन्हीं के सदृश अगणित सरदारों और सैनिकों ने केवल जीतते हुए नहीं अपितु हारते हुए संग्रामों को भी बहुत बहादुरी से लड़ा था। केसरिया बाना पहने-पहनकर यहाँ के वीरों ने आत्मसम्मान की रक्षा के लिए प्राणों को तुच्छ मान हँसते-हँसते अपना बलिदान कर वीर के साथ ही हुतात्मा पद को प्राप्त किया था। साध्वी वीर माताओं, वीर भगिनियों, वीर पत्नियों, वीर पुत्रियों की संख्या दो, चार, दस, सौ, दो सौ, चार सौ, न होकर हजारों थी। इस कारण यह युद्ध रोमांचकारी था। यहीं जौहर की अमर गाथाएँ गढ़ी गयी थीं।



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