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हमारी वृत्ति कैसी होनी चाहिए ?​

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दृष्टि, वृत्ति और कृति कैसी हो: बीके कीर्ति

6 वर्ष पहले

भिवानी | प्रजापिताब्रह्मकुमारीज की शाखा गोशाला मार्केट में साप्ताहिक कार्यक्रम दृष्टि, वृत्ति और कृति विषय रविवार को एक संगोष्ठी हुई।

इस मौके पर संस्था की वरिष्ठ बहन बीके कीर्ति ने कहा कि हमारी दृष्टि संसार में हर मनुष्य मात्र के लिए कैसी है। हमारा दृष्टिकोण कैसा है। सांसारिक जीवन का मूल्य क्या है। ये निर्भर करता है हमारी दृष्टि पर। सकारात्मक सोच वाली है या नहीं जिसका पता चलता है हमारी वृत्ति से। हर कर्म को करने से पहले अपनी वृत्ति और कृति का बैलेंस बना कर चलें तो जीवन में सुख और शांति की अनुभूति संभव है। बहन कीर्ति ने कहा कि ये शिक्षा हमें मुख्य रूप से पिता, शिक्षक और गुरू ही दे सकता है। क्योंकि मनुष्य के कल्याण करने वाला और ज्ञान का सागर परमात्मा जिसका नाम शिव अर्थात कल्याणकारी है। उसके इस नाम से सिद्ध होता है कि वह सभी मनुष्य आत्माओं का परमपिता, परम शिक्षक और परम सदगुरू है। परमात्मा उसे कहेंगे जो सर्व गुणों और शक्तियों का भंडार हो वो कभी किसी से कुछ लेता नहीं बल्कि देता है। इसलिए वो अपने बच्चों को दाता बनने का वरदान देता है। दानी भव, वरदानी भव, परचिंतक नहीं शुभचिंतक भव। इस अवसर पर बीके कामरा, बीके हिंदराज, बीके राजबीर, बीके कालू तथा बीके धर्मबीर आदि थे।

गौशाला मार्केट में हुए कार्यक्रम को संबोधित करते ब्रह्माकुमारी कीर्ति।



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