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होली पर निबंध लिखिए : |
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Answer» होली हिन्दुओं का पारंपरिक त्योहार है। यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है। यह त्योहार भारत के अलावा कई अन्य देशों जिनमें अल्पसंख्यक हिन्दू रहते हैं वहाँ भी बड़े धूम – धाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन तक मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं। दूसरे दिन, जिसे धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन भी कहते हैं, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर – गुलाल इत्यादि फेंकते हैं। ढोल बजाकर होली के गीत गाये जाते हैं और घर – घर जाकर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुराने गिले शिकवों को दूर कर आपस में गले मिलते है। होली प्रेम और भाईचारे का भी त्योहार है। एक दूसरे को रंगने एवं गाने – बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहनकर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं। होली राग रंग का त्योहार है। यह समय बसंत ऋतु का होता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। होली का त्योहार बसंत पंचमी से ही शुरू हो जाता है। गाँव – देहातों में फाग और धमार का गाना शुरू हो जाता है। बच्चे – बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच छोड़कर नृत्य, संगीत एवं रंगों में डूब जाते है। गुझिया होली का प्रमुख पकवान है जो कि मावा (खोवा) और मैदा से बनती है। होली का त्योहार सिर्फ हिन्दू ही नहीं मुसलमान भी मनाते हैं। मुगल काल में इसके कई प्रमाण मिलते हैं। अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर का नूरजहाँ के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है। विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हंपी में होली के चित्र उकेरे मिलते हैं। होली को लेकर कई कहानियां जुड़ी हुई हैं। सबसे प्रसिद्ध कहानी भक्त प्रह्लाद और हिरण्यकशिपु नामक बलशाली असुर की है। वह अपने को ईश्वर कहता था। उसका पुत्र प्रहलाद उसे ईश्वर नहीं मानता था। हिरण्यकशिपु ने प्रहलाद से नाराज होकर अपनी बहन होलिका, जिसे आग में नहीं जलने का वरदान प्राप्त था, से प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठने को कहा। आग में बैठने से होलिका तो जल गई लेकिन प्रहलाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रहलाद की याद में तभी से होली मनाई जाती है। होलिका का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है। यह बुराइयों पर अच्छाइयों के विजय का सूचक है। होली रंगों का त्योहार, हँसी – खुशी का त्योहार है। समाज में ऊँच – नीच, अमीर – गरीब का भेद इसमें मिट जाता है। यह परस्पर प्रेम और सौहार्द का प्रतीक भी है। |
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