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हरिणशावक के लिए कालिदास और दन्तुल के बीच में हुए संवाद को अपने शब्दों में लिखिए ?

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राजपुरुष दन्तुल के बाण से आहत हरिण-शावक को अपनी बाहों में लेकर कालिदास मल्लिका के घर आता है। तभी हरिण-शावक के शरीर से टपकती हुई खून की बूंदों के सहारे राजपुरुष दन्तुल वहाँ पहुँचता है और कालिदास से हरिण-शावक की मांग करता है। इस बात को लेकर दोनों के बीच संवाद होता है।

दन्तुल कालिदास से कहता है कि वे उसके बाण से आहत हरिणशावक उठा लाए हैं। वह उसकी संपत्ति है। इसलिए वे उसकी संपत्ति लौटा दें। इसके जवाब में कालिदास कहते हैं कि जिस क्षेत्र में उसने हरिण-शावक पर बाण चलाया है, उस प्रदेश में हरिणों का आखेट नहीं होता। वह बाहर से आया है इसलिए उसे इस जुर्म के लिए अपराधी नहीं माना जा रहा है, यही क्या कम है। दन्तुल फिर कहता है कि अपराध का निर्णय क्या उन जैसे ग्रामीण करेंगे? वह राजपुरुषों के लंबे अधिकार की धौंस जमाता है और हरिण-शावक को अपनी संपत्ति बताते हुए दे देने के लिए कहता है। कालिदास कहते हैं कि हरिण-शावक पार्वत्य भूमि की संपत्ति है। इसके बाद कालिदास घायल हरिण-शावक को लेकर अपने घर रवाना हो जाते हैं।



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