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हरित क्रांति के वेग और विस्तार द्वारा बेरोजगारी की समस्या को हल कर सकते है । समझाइए ।

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भारत में जनसंख्या वृद्धि के कारण कृषि क्षेत्र पर श्रम का भार अधिक होने से कृषि क्षेत्र में मौसमी एवं प्रच्छन्न बेरोजगारी अधिक देखने को मिलती है । इस समस्या को हल करने के लिए अन्य क्षेत्रों का विकास संभव नहीं हुआ है । इसलिए कृषि क्षेत्र के . श्रमिकों की समस्या को हल करने के लिए हरित क्रांति को गति देना और उसका विस्तार करने का प्रयास करना चाहिए जिससे रोजगारी के अवसर बढ़ा सकते है ।

जैसे प्रसिद्ध अर्थशास्त्री पी. सी. महालनोबिस के अनुसार भारत में कृषि क्षेत्र में रु. 1 करोड़ का पूंजीनिवेश करने से 40,000 व्यक्तियों को रोजगार दे सकते है । और उत्पादन में 5.7% की दर से बढ़ा सकते हैं । जब के बड़े उद्योगों में 500 व्यक्तियों को रोजगार तथा 1.4% उत्पादन बढ़ा सकते हैं । इस प्रकार उद्योगों की अपेक्षा कृषि क्षेत्र में रोजगार और उत्पादन की क्षमता अधिक होती है । इसलिए कृषि क्षेत्र में हरित क्रांति के लिए आवश्यक पूरक प्रवृत्तियों जैसे कि छोटी और मध्यम कद की सिंचाई, जमीन संरक्षण, मिश्र खेती, वनविकास, अधिक फसल लेने की पद्धति, जमीन का नवीनीकरण तथा कृषि से सम्बन्धित ग्राम उद्योगों को गति देकर रोजगार के अवसर बढ़ा सकते हैं । डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन के अनुसार ‘कृषि क्षेत्र के विकास की दिशा में अधिक प्रयत्न किये जाये तो अनेक गुना रोजगार के अवसर खड़े कर सकते हैं । इस प्रकार उपर्युक्त चर्चा पर से ऐसा कह सकते हैं कि ‘हरित क्रांति के वेग और विस्तार से बेरोजगारी की समस्या को हल कर सकते हैं ।



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