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Answer» समसामयिक का अर्थ है- वर्तमानकालिक अर्थात आज की समझ रखना। वर्तमान सदैव पूर्व पर आधारित होता है व भविष्य की रूपरेखा तैयार करता है। समसामयिक विषयों पर लेखन के लिए अपने आस-पास के समाज की समझ, राजनीतिक विषयों की जानकारी, आर्थिक हलचल-उतार-चढ़ाव, सामाजिक-राजनीतिक संबंधों के प्रति जागरुकता होनी आवश्यक है। व्यक्ति की जागरुकता ही उसकी लेखनी को सशक्त बनाती है।बौद्धिकता भावात्मकता का योग : किसी भी विधा की रचना के लिए पृष्ठभूमि की जानकारी का होना जरूरी है। पृष्ठभूमि से जुड़े संदर्भों की सही ढंग से पड़ताल करते हुए आधुनिक दृष्टिकोण से रचना करके ही किसी विधा से न्याय किया जा सकता है। आधुनिक होने का अर्थ है- तार्किक एवं बौद्धिक दृष्टि से विषय की परख करना। परन्तु मात्र बौद्धिक होकर किसी विधा की रचना करना संभव नहीं अतः भावना का योग ही रचना को श्रेष्ठ बना सकता है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने बुद्धि एवं हृदय के योग को काव्य रचना के लिए आवश्यक माना है। बुद्धि एवं हृदय का समन्वय विधा के शरीर में प्राण संचार करता है। अतः मात्र निश्चयात्मिका बुद्धि ही नहीं रागात्मिका वृत्ति भी विधाओं के लिए जीवनदायिनी मानी गयी है। कार्यक्रम तैयार किए जाने पर उसमें अधिकाधिक सूचनाओं का होना आवश्यक है। विषय का चुनाव भी उतना ही महत्वपूर्ण है। |
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