InterviewSolution
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Is money the root of all evil |
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Answer» no it's DEPEND on human BEINGS psychology not on MONEY , EXPLANATION:पैसा सब कुछ तो नहीं लेकिन बहुत कुछ जरूर है.’ ऐसा कहने के पीछे लोगों की मंशा साफ़ समझ आती है कि वे पैसे को महत्वपूर्ण तो बताना चाहते हैं लेकिन खुद को पैसा परस्त बताने से भी बचना चाहते हैं. हम सब इस बात को बखूबी समझते हैं कि बहुत हद तक पैसा सब कुछ है और उस हद के आगे निकल जाने पर कुछ भी नहीं. वैसे अक्सर यह भी कहा जाता है कि पैसा अगर नहीं है तो सबसे बड़ा है और अगर है तो फिर वह उतना बड़ा नहीं रह जाता. हालांकि यह बात पैसे के साथ-साथ और भी कई चीजों, यहां तक कि इंसानों पर भी पूरी तरह से लागू होती है. यानी जो उपलब्ध है उसका महत्व तब तक पता नहीं चलता जब तक उसके बिना काम चलाने का मौका न आ जाए. सीधी बात ये है कि पैसे की कद्र करने के पीछे हमारी जरूरतें होती हैं. पैसे का बड़प्पन इस बात से बढ़ता है कि हमारी जरूरत कितनी बड़ी है. अगर हमारे पास खाने के लिए भी कुछ नहीं है तो उस वक्त पैसा हमारे लिए सबसे बड़ी चीज हो सकता है. इसके बाद अगर हमारे पास पहनने के लिए कुछ नहीं है तो पैसा थोड़ा घटे कद के साथ हमारे सामने आकर खड़ा होता है. हमारी जरूरतों की प्राथमिकता जिस हिसाब से बदलती जाती है, पैसे का कद भी उस हिसाब से घटता जाता है. |
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