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जैव- विविधता के विभिन्न प्रकारों का सारगर्भित शब्दों में संक्षिप्त विवरण दीजिए।

Answer» जैव-विविधता को जीवधारियों के पारिस्थि- तिकीय संबंधों के आधार पर तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है-
1. जातिय विविधता (Species Diversity)- एक वंश की विभिन्न जातियों के बीच उपस्थित विविधता को जाति स्तर की जैव- विविधता कहते हैं तथा एक समान जातियों का समूह वंश कहलाता है। उदाहरण-सिट्रश वंश। इस वंश के अन्तर्गत नींबू, संतरा, मौसमी आदि की विभिन्न जातीयाँ सम्मिलित की जाती हैं। जातिय विविधता को विवेचित रूप में निम्नलिखित तीन स्तरों में परिभाषित किया जा सकता है-
(i) अल्फा विविधता (Alpha Diversity)-यह किसी भी स्थान में जाति समानता एवं जाति सम्पन्नता पर निर्भर करती है।
(ii) बीटा विविधता (Bita Diversity) इकाई आवास हुए परिवर्तन के कारण जाति की संख्या में होने वाले बदलाव की दर को बीटा विविधता कहते हैं।
(iii) गामा विविधता (Gamma Diversity)-इसे सार्वभौमिक (Universal ) विविधता कहा जाता है।
2. पारिस्थितिक तंत्र विविधता (Ecosystem Diversity)- जैविक समुदायों की जटिलता एवं विविधता ही पारिस्थितिक तंत्र की विविधता होती है। अलग-अलग पारिस्थितिक तंत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के जीव जीवन- यापन करते हैं।
3. आनुरवंशिक विविधता (Genetic Diversity)- एक ही जाति विशेष में मिलने वाली जीन्स की विभिन्नता आनुवंशिक विविधता कहलाती है। यह दो रूपों में दृष्टिगोचर होती है-
(i) एकही जाति की अलग-अलग समष्टियोंमें। उदाहरण- धान की विभिन्न किस्मों क़ी उत्पत्ति ।
(ii) एक ही समष्टि की आनुवंशिक विभिन्नताओं के अंतर्गत। उदाहरण-दो बच्चों के रंग, गुण, कद ,बाल इत्यादि कभी भी एक जैसे नहीं होते हैं।


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