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जीवन बीमा के प्रकार बताकर उनके बारे में संक्षिप्त में समझाइए ।

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जीवन बीमा (Life Insurance) : किसी भी व्यक्ति की मृत्यु तो निश्चित होती है, लेकिन मृत्यु कब होगी ऐसी अनिश्चितता हमेशा बनी रहती है । ऐसी अनिश्चितता के सामने बीमा उतरवाया जाता है । जिन्दगी के बीमा-करार में बीमाधारक नियमित प्रीमियम भरता रहता है, उसके बदले में बीमा कम्पनी व्यक्ति की मृत्यु होने पर या मृत्यु से पूर्व बीमे की अवधि पूरी होने पर बीमे की निश्चित रकम चुकाने की गारन्टी देती है । ऐसे बीमे दो प्रकार के होते हैं ।

जीवन बीमा के दो प्रकार है :

(1) आजीवन बीमा (Whole Life Insurance)
(2) मियादी बीमा (Endowment Policy)

(1) आजीवन बीमा (Wholelife Insurance) :

बीमा उतरवानेवाले (बीमेदार) व्यक्ति की मृत्यु होने के बाद उनके वारिसदार (उत्तराधिकारी) को रकम चुकाने का बीमा कम्पनी वचन देती है । ऐसे करार को आजीवन-बीमा का करार कहते हैं । इस करार के बदले जो प्रीमियम तय हुआ है वह रकम निश्चित समय पर आजीवन भरनी पड़ती है । इस बीमे में क्षतिपूर्ति का सिद्धान्त एवं अधिकार-परिवर्तन का सिद्धान्त लागू नहीं पड़ता है । ऐसी पॉलिसियों पर प्रीमियम एक निश्चित समय तक जैसे 20 वर्ष या 30 वर्ष तक दिया जायेगा और उसके पश्चात् प्रीमियम देना बन्द कर दिया जायेगा, लेकिन बीमा पॉलिसी जीवनपर्यन्त चलती रहेगी । दूसरे अर्थ में यदि प्रीमियम का भुगतान पूरे जीवन होना है तो इसे आजीवन पॉलिसी कहेंगे ।

(2) मियादी बीमा (Endowment Policy) :

किसी व्यक्ति की निश्चित की हुई उम्र हो, तब उस व्यक्ति को अथवा तय किये गये वर्ष से पूर्व यदि उसकी मृत्यु होती है तो उनके उत्तराधिकारी को निश्चित की गई राशि (रकम) बीमा कम्पनी चुकाने की गारन्टी देती है । ऐसे करार को मियादी बीमा कहते हैं । ऐसे करार के बदले में बीमाधारक को निश्चित प्रीमियम, निश्चित समय तक करार पूर्ण हो तब तक भरना पड़ता है । जो समय तय हुआ है तब तक यदि बीमाधारक जीवित है, तो उसे पूर्ण रकम मिलती है । ऐसे बीमे से जोखिम मुआवजा तथा बचत करने की आदत बनती है ।



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