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जीवन में अहिंसा का महत्व पर निबंध लिखिए :

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सामान्य अर्थ में ‘हिंसा नहीं करना’ ही अहिंसा है। धर्म ग्रन्थों के अनुसार व्यापक अर्थ में इसका मतलब ‘किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन व वाणी से कोई नुकसान नहीं पहुँचाना ही ‘अहिंसा’ है। ‘जैन’ एवं ‘हिन्दू धर्म में अहिंसा को बहुत महत्त्व दिया गया है। जैन धर्म का तो मूल मंत्र ही ‘अहिंसा परमो धर्मः’ अर्थात अहिंसा ही सबसे बड़ा धर्म है। इसके अलावा विश्व में भी अहिंसा का विचार रहा है। थोरो, टॉलस्टॉय, लाओत्से, कन्फ्यूशियस जैसे अहिंसावादी विचारक वैश्विक स्तर पर रहे है। आधुनिक भारत में महात्मा गांधी का नाम इसमें सबसे ऊपर आता है। ब्रिटिश शासकों से भारत को आजाद करवाने में गांधी ने इसे सबसे प्रभावी हथियार बना दिया।

महात्मा गांधी ने ‘अहिंसा’ को शोषक के खिलाफ लड़ने का प्रमुख औजार बनाया। विनय के माध्यम से अन्याय का प्रतिकार करते हए अन्यायी को ही बदल डालने को। कहा। गांधी ‘सत्य’ को अहिंसा का ही पर्याय मानते थे। बाद में दक्षिण अफ्रीका में नेल्सन मंडेला ने गांधी का ही अनुसरण करते हुए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी थी।

जीवन ‘अहिंसा’ से ही चलता है। अगर अहिंसा न हो तो मनुष्य हिंसक पशुओं की तरह लड़कर खत्म हो जाएगा। अहिंसा मनुष्य का स्वभाव है। हिंसा उसके स्वभाव में आयी विकृति या बीमारी है। मनुष्य समाज ने अगर विकास किया है तो अहिंसा के माध्यम से। आपस में हिलमिलकर सदियों से रहना ‘अहिंसा’ से ही संभव हो पाया है। अगर प्रत्येक मनुष्य ‘अहिंसा’ को मजबूती से अपने जीवन का अंग बना ले तो दुनिया में अपराध, नफरत, स्वार्थ, हिंसा, चोरी जैसी घटनाएं पूर्णतः खत्म हो जाएगी। मनुष्य प्रकृति से उतना ही लेगा जितनी उसको जरूरत है। प्रकृति का अत्यधिक दोहन करना, उससे जरूरत से ज्यादा लेना भी हिंसा है। अगर हम ऐसा करेंगे तो आनेवाली पीढ़ियों के लिए कुछ भी नहीं बचेगा। इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग जरूरत के अनुसार करना चाहिए।

दुनिया की किसी भी समस्या का समाधान हिंसा से नहीं हो सकता। हिंसा हमेशा प्रतिहिंसा को जन्म देती है। यह कभी नहीं रुकनेवाला अंतहीन सिलसिला है। इसलिए सभी समस्याओं का समाधान बातचीत से, प्रेम और सौहार्द से ही हो सकता है। हम एक हिंसक समाज का निर्माण नहीं कर सकते। आँख के बदले आँख के सिद्धांत पर चले तो पूरी दुनिया ही अंधी हो जाएगी।



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