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.जीवन में संतोष के क्षण वास्तव में क्या हैं ?

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HI,

संतोष का अर्थ

सन्तोष - एक वृत्ति है तथा सुख और शान्ति उसका परिणाम, किन्तु दुर्भाग्यवश हमारे यहाँ सन्तोष का अर्थ आलस्य और प्रमाद माना जाता है। आलस्य और प्रमाद तो तमोगुण के लक्षण हैं जबकि सन्तोष सतोगुण से उत्पन्न होता है।

सन्तोष का अर्थ यह नहीं है कि हम हाथ पर हाथ रखकर बैठ जायें और गाने लगें ' अजगर करै न चाकरी पंछी करै न काम'| वास्तव में सन्तोष का अर्थ है प्रगति पथ पर धैर्य पूर्वक चलते हुए मार्ग में आने वाले कष्टों और कठिनाईयों का प्रभाव अपने ऊपर न पड़ने देना। संसार के कांटे हम नहीं बीन सकते किन्तु यदि हमने सन्तोष रूपी जूते पहन रखे हैं, तो कोई भी कांटा हमारे मार्ग में बाधक नहीं बन सकता।

हम अपनी शक्ति भर अपनी सर्वांगीण उन्नति के लिए प्रयास करें तथा हर परिस्थिति का दृढ़ता पूर्वक मुकाबला करें तथा हर समय मानसिक शान्ति बनाये रखें यही सन्तोष है।

लोग कामनाओं की पूर्ति से सन्तोष पाना चाहते हैं किन्तु यह मार्ग गलत है। वह तो कामनाओं को समाप्त करने से ही मिलता है।

-पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

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