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जमा खर्ची व्यवहार समझाइए ।

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जिस मौद्रिक व्यवहार में रोकड़ और बैंक ऐसे दोनों खाते असर पाते हो अथवा इस प्रकार के व्यवहारों का लेखा रोकड़बही के दोनों उधार और जमा पक्ष में किया जाता हो वह जमाखर्ची व्यवहार (c) के रूप में जाना जाता है । जमाखर्ची व्यवहार की असर ‘रोकड़’ और ‘बैंक’ खाते को ही होती है । इसलिए इसकी खतौनी नहीं की जाती, परंतु खाताबही पन्ना नंबर (खा.पृ.) के खाने में ज.ख. (जमाखर्ची व्यवहार) लिखा जाता है ।

सामान्यतः जमाखर्ची व्यवहार दो प्रकार के होते है –

  1. धंधे में से बैंक में रोकडं भरनी ।
  2. धंधे में से बैंक में से रोकड निकालनी ।


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