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जंगलों को जनजीवन में क्या महत्त्व है?

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मानव जाति ने प्राचीनकाल से ही जंगलों कों निज स्वार्थ में ईंधन, फर्नीचर एवं भवन-निर्माण सामग्री की लकड़ी के स्रोतों की तरह प्रयोग किया है। इसके अनेक दुष्परिणाम धीरे-धीरे मानव जाति को ही भुगतने पड़े हैं। वनों का जनजीवन में महत्त्व निम्नलिखित है

  1. प्रत्येक परिस्थिति में मानव जीवन प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से वनस्पतियों पर निर्भर होता है। गैसों, खनिज लवणों, पोषक पदार्थों आदि के आदान-प्रदान से मनुष्य तथा वनस्पतियाँ, एक-दूसरे का जीवन सम्भव बनाते हैं। जंगलों के विनाश के दुष्परिणाम हैं प्राकृतिक विपदाएँ; जैसे–सूखा व बाढ़ आदि।
  2. वनों के हरे पेड़-पौधे प्रकाश-संश्लेषण की क्रिया द्वारा कार्बन डाइऑक्साइड व ऑक्सीजन गैसों का वायुमण्डल में सन्तुलन बनाए रखते हैं। वनों के विनाश के कारण वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा बढ़ रही है जो कि एक हानिकारक स्थिति है।


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