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जन्मदिन के बारे में लेखक के विचार स्पष्ट करें।

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लेखक के अनुसार जन्मदिन मनाना और अभिनंदन करना पाश्चात्य अंधानुकरण का एक नमूना है। वे कहते हैं कि जन्मदिन की बधाई देनी ही हो, तो उन लोगों को देनी चाहिए, जो लोग झोंपड़ों में रहते हैं, सुविधाओं से वंचित हैं, और जिन्हें भरपेट खाना नहीं मिलता। वे लोग जो रोज मरने को होते हैं, पर मौत को जीत लेते हैं और एक साल और खींच ले जाते हैं, मरते नहीं। जन्मदिन की बधाई उन्हें देनी चाहिए। कहीं-कहीं तो जन्मदिन का अभिनंदन करना धंधा भी होता है। पैसा जमा होता और खाया जाता है। ऐसे जन्मदिन अभिनंदन का कोई अर्थ नहीं है।



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