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कालिदास हरिणशावक को क्यों बचाना चाहते थे ?

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कालिदास एक संवेदनशील व्यक्ति थे। उनके हृदय में प्राणियों के प्रति बहुत प्यार था। वे उस पार्वत्य भूमि के निवासी थे, जहाँ लोग पशु-पक्षियों को अपनों में से, अर्थात् अपने मित्र मानते थे। कालिदास के क्षेत्र में हरिणों का आखेर अपराध माना जाता था। आहत हरिण-शावक को देखकर वे स्वयं आहत थे और उसे हर हालत में जीवित रखने का प्रयास कर रहे थे। उन्होंने राजपुरुष दन्तुल से स्पष्ट शब्दों में कह दिया था कि यह घायल हरिण-शावक उनकी पार्वत्य भूमि की संपत्ति है। वह यह.सोचकर भूल कर रहा है कि वे इसे उसे सौंप देंगे। इन पंक्तियों से प्राणियों के प्रति कालिदास के प्रगाढ़ प्रेम का पता चलता है। जिस व्यक्ति के मन में प्राणियों के प्रति इतना प्रेम हो, वह एक घायल हरिण-शावक की जान बचाना क्यों नहीं चाहेगा। मूक प्राणियों की रक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। इसलिए कालिदास हरिण-शावक की जान बचाना चाहते थे।



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