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कांग्रेस की दो विचारधाराएं कौन सी थीं? उनके बारे में लिखिए?

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कांग्रेस की दो विचारधाराएं निम्नलिखित थीं- नरम दल और गरम दल।

() नरम दल-कांग्रेस के वे नेता जो शांतिपूर्ण तथा वैधानिक ढंग से देश की आवश्यकताओं को पूरा कराना चाहते थे, उदारवादी कहलाये। उनका विश्वास था कि अगर जनमत को उभारा जाए और प्रार्थना पत्रों, सभाओं, प्रस्तावों तथा भाषणों के द्वारा जनता की माँग को शासन तक पहुँचाया जाए तो वे धीरे-धीरे एक-एक करके हमारी माँगों को पूरा कर देंगे। ऐसे नेताओं में दादा भाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, मदन मोहन मालवीय, सच्चिदानंद सिंहा आदि प्रमुख थे।

(ख) गरम दले- उन्नीसवीं सदी के अन्तिम वर्षों में राष्ट्रीय आंदोलन में एक नयी विचारधारा का उदय हुआ। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय और विपिन चन्द्र पाल गरम विचार धारा के थे। उनका मानना था कि अंग्रेज सरकार से केवल अनुनय-विनय करके भारतीय अपने अधिकारों को नहीं प्राप्त कर सकते हैं। इनकी मान्यता थी कि वे उग्र विरोध के बिना हमारी माँगें पूरी नहीं करेंगे। लोकमान्य तिलक ने ‘स्वराज्य हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है इसे हम लेकर रहेंगे’ का नारा देकर जनता में देश-प्रेम की भावना भर दी। बंकिमचन्द्र चटर्जी के गीत ‘वंदे मातरम्’ ने भारतवासियों में मातृभूमि के प्रति देश-प्रेम की भावना जगाई।



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