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काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरेमदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा।

Answer» काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-

हेम कुंभ ले उषा सवेरे-भरती ढुलकाती सुख मेरे

मदिर ऊँघते रहते सब-जगकर रजनी भर तारा।


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