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Kabir padh me dusre pad ka prasang or vyakhya

Answer» दूसरे पद में कबीर जी आडम्बर वादी तथा पाखंड करने वाले व्यक्तियों पर करारा कटाक्ष करते हैं और कहते है कि सच्ची भक्ति तो हमे सजीव की करनी चाहिए या तो आस्था की , न कि किसी पत्थर की। साथ ही साथ वो बोलते हैं कि मनुष्य तो मोह माया और छल से भरी दुनिया में जकड़ा हुआ है जो स्वयं बाहर नही निकलना चाहता । ख़ाश तौर पर उन्होंने उन पंडित व औलियों का विरोध किया है जो झूठ का पाखण्ड किए हैं और प्रभु से मुनुष्यों को दूर कर रहे हैं।


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