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“केशव, यह दोनों परस्पर विरोधी विशेषताएँ, वो मुझमें कदापि नहीं हो सकतीं।”-तुलसीदास के इस कथन में व्यक्त पीड़ा का उल्लेख कीजिए। |
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Answer» तुलसी के सम्बन्ध में अलग-अलग धारणाएँ थीं। कोई उन्हें महामुनि और कोई कपटी-कुचाली कहता था । तुलसी कहते हैं कि ये दोनों विरोधी विशेषताएँ मुझसे सहन नहीं होतीं। मैं अधम प्राणी हूँ तभी आप (उनके आराध्य राम) मुझे दर्शन नहीं दे रहे। मुझे एक बार कह दो कि मैं तुम्हारा हूँ। इसे सुनकर मेरे हृदय को सन्तोष हो जाएगा। यह सुनकर मुझे किसी और चीज की अपेक्षा नहीं रहेगी। मुझे आपका भरोसा चाहिए, विश्वास चाहिए। आपका सान्निध्य चाहिए। तुलसी को पीड़ा है कि प्रभु उन्हें दर्शन नहीं देते। अपना नहीं कहते । तुलसी यह सुनना चाहते हैं कि तुलसी राम का है। इसी पीड़ा से वे व्यथित हैं। |
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