1.

खाने के बारे में बूढ़ी काकी के मन में कैसे-कैसे मंसूबे बँधे ?

Answer»

बूढ़ी काकी की कल्पना में पूड़ियों की तस्वीर नाच रही थी। पूड़ियाँ लाल-लाल, फूली-फूली, नरम-नरम होंगी। कचौड़ियों में आजवाइन और इलायची की महक आ रही होगी। उन्होंने खाने के बारे में तरह-तरह के मंसूबे बांधे थे। वे कहती, पहले सब्जी से पूड़ियाँ खाऊँगी, फिर दही और शक्कर से। कचौड़ियों रायते के साथ मजेदार मालूम होंगी। वे कहती, चाहे कोई बुरा माने चाहे भला, वे मांग-मांगकर खाएंगी। लोग यही कहेंगे न कि इन्हें विचार नहीं है। कहा करें लोग। इतने दिन के बाद पूड़ियाँ मिल रही हैं, तो मुंह जूठा करके थोड़े ही उठ जाएंगी। इस प्रकार बूढ़ी काकी के मन में खाने के बारे में मंसूबे बंधे थे।



Discussion

No Comment Found

Related InterviewSolutions