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खेद ऐसी समझ पर! पढ़ना-लिखना सब अकारथ गया।

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EXPLANATION:

पण्डित अलोपीदीन का लक्ष्मी जी पर अखण्ड विश्वास था। वह कहा करते थे कि संसार का तो कहना ही क्या, स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज्य है। उनका यह कहना यथार्थ ही था। न्याय और नीति सब लक्ष्मी के ही खिलौने हैं, इन्हें वह जैसे चाहती हैं नचाती हैं। लेटे ही लेटे गर्व से बोले, चलो हम आते हैं। यह कह कर पण्डित जी ने बड़ी निश्चिन्तता से पान के बीड़े लगा कर खाये। फिर लिहाफ ओड़े हुए दारोगा के पास आ कर बोले, बाबू जी आशीर्वाद ! कहिए, हमसे ऐसा कौन-सा अपराध हआ कि गाड़ियों रोक दी गयीं। हम ब्राह्मणों पर तो आपकी कृपा-दृष्टि रहनी चाहिए।



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