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खिलौने और मिठाइयाँ खरीदनेवाले साथियों के बारे में हामिद के मन में क्या विचार आए?

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मिठाइयाँ खानेवाले साथियों के बारे में हामिद ने सोचा कि सचमुच ये लोग बड़े लालची हैं। इतनी मिठाइयाँ लीं, पर मुझे एक भी न दी। इतनी मिठाइयाँ खाने से इनका मुंह सड़ेगा, फोड़े-फुसियाँ निकलेंगी और जबान चटोरी हो जाएगी। तब मिठाइयों के लिए ये लोग घर से पैसे चुराएँगे और मार खाएँगे। अम्मा चिमटा देखकर मुझे दुआएँ देंगी। इन लोगों के खिलौने पर कौन इन्हें दुआएँ देगा? इस प्रकार हामिद के मन में खिलौने और मिठाइयाँ खरीदनेवाले साथियों के बारे में तरह-तरह के विचार आए।



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