InterviewSolution
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किसी लम्बी परिनालिका का व्यास `0.1` मी है । इसमें तार के फेरों की संख्या `2xx 10^(4)` प्रति मीटर है । इसके केन्द्र पर `0.01` मी त्रिज्या तथा 100 फेरों वाली एक कुण्डली इस प्रकार रखी है कि दोनों कि अक्ष सम्पाती हैं। परिनालिका से प्रवाहित होने वाली वैधुत धारा का मान एक स्थिर दर से कम होता जाता है ओर `0.05 s` में 4A से शून्य हो जाता है । यदि, कुण्डली का प्रतिरोध `10 pi^(2) Omega` है तो , इस अन्तराल में कुण्डली से प्रवाहित कुल आवेश होगा :A. `32 pi muC`B. `16 muC`C. `32 muC`D. `16 pi muC`. |
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Answer» Correct Answer - C `e = - N (dPhi)/(dt)` `:. e/R = N/R (dPhi)/(dt)` `dQ = N/R (dPhi)/(dt)` `dQ = (N)/R dPhi` `DeltaQ = (N(DeltaPhi))/(R ) = (NBA)/(R ) = (Nmu_(0) ni pir^(2))/(R )` `= (2 xx 10^(4) xx 4 pi xx 10^(-7) xx 100 xx 4 xx pi(0.01)^(2))/(10pi^(2)) C` `= 32 muC`. |
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