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किसी विलायक में कोई अवाष्पशील पदार्थ घोलने पर विलयन का वाष्पदाब कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप विलयन का क्वथनांक बढ़ जाता है।

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किसी द्रव में उपस्थित अणु प्रत्येक दिशा में गतिशील रहते हैं। सतह के अणुओं की गतिज ऊर्जा अन्य अणुओं की अपेक्षा अधिक होती है; अतः ये अणु द्रव की सतह से वाष्प के रूप में पृथक् हो जाते हैं। अणुओं की यह प्रवृत्ति निर्गामी प्रवृत्ति कहलाती है। वाष्प के ये अणु सतह पर दाब डालते हैं, जिसको वाष्प दाब कहते हैं। किसी द्रव या विलायक में अवाष्पशील पदार्थ मिलाने पर द्रव के अणुओं की यह निर्गामी प्रवृत्ति घट जाती है; क्योंकि विलेय पदार्थ द्रव के अणुओं पर एक प्रकार का अवरोध उत्पन्न करता है; अत: द्रव का वाष्प दाब घट जाता है; इसलिए विलयन का वाष्प दाब विलायक के वाष्प दाब से सदा कम रहता है।



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