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“को छूट्यौ…… उरझत जात ॥” इस दोहे में कवि ने ‘जाल’ और ‘कुरंग’ शब्दों को किनका प्रतीक बनाया है? दोहे की शैलीगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।

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दोहे में कवि ने सांसारिक सुखों के मोह में पड़े व्यक्तियों की दयनीय स्थिति पर प्रकाश डाला है। कवि ने दोहे में ‘जाल’ को सांसारिक सुखों का और ‘कुरंग’ को मोहग्रस्त लोगों का प्रतीक बनाया है। झूठे सुखों के मोह जाल में जो व्यक्ति एक बार फंस जाता है वह लाख प्रयत्न करने पर भी उससे बाहर नहीं निकल पाता। वह जितना इस जाल से छूटने का प्रयत्न करता है, जाल उसे उतना ही और उलझाता चला जाता है। कवि ने अपनी बात कहने के लिए प्रतीकात्मक तथा अन्योक्तिपरक शैली का प्रयोग किया है।



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