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क्षुधार्त रंतिदेव ने दिया करसथ थाल भी, तथा दधीचि ने दिया परार्थ असथिजाल भी | उशीनर क्षितिज ने सवमांश दान भी, सहर्ष वीर कण ने शरीर-चर्म भी दिया| अनितय देह लिए अनादि जीव कया डरे? वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे |
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