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क्षुधात रंतिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजालउशीनर क्षितीश ने स्वमांस दान भी किया,सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर-चर्म भी ।अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्या डरे?वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे can some one explain this? this is poem मनुष्यता​

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यह अब भतीजी है रति देने पूरे कनिष्ठ आलम भी उनको दिया था जब गरीब थे जिनको भोजन की जरूरत थी उनको दिया और दही से डे उनका सिटीजन दिया उसी दृष्टि जेल इस्लाम आसान कर दिया इस देश के लिए अनादि जीव कार्ड अरे वह मुश्किल



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